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केंद्र में बनेगी किसकी सरकार इसके लिए करना पड़ेगा और इंतजार….इस बार देरी से आएंगे लोकसभा चुनाव के नतीजे…जानिए कैसे होती है मतगणना

लोकसभा चुनाव के नतीजे कल आने वाली है | प्रत्याशियों के साथ मतदाताओं की धड़कने भी तेज हो गई है | 12 लाख से अधिक ईवीएम में मतदाताओं के मत और उम्मीदवारों की किस्मत बंद है | वोटो की गिनती कल सुबह से शुरू हो जाएगी लेकिन नतीजे आने में थोड़ी देर हो सकती है |
हालंकि पहले शाम तक केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह स्पष्ट हो जाता था, लेकिन इस बार केंद्र में किसकी सरकार बनेगी इसके लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ेगी | चुनाव आयोग के अनुसार इस बार 4-5 घंटे देरी से आ सकते हैं |

उपचुनाव आयुक्त सुदीप जैन ने बताया कि इस बार चुनावी नतीजों में कुछ देरी हो सकती है. उनके मुताबिक, ये नतीजे इस बार 4-5 घंटे देरी से आ सकते हैं. सुदीप जैन ने बताया कि ईवीएम और वीवीपैट के वोटों का मिलान होने के चलते ये देरी हो सकती है |

लोकसभा चुनाव में ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीनों का भी इस्तेमाल किया गया है, जिससे वोट डालने पर पर्ची भी निकली है, ऐसे में जब 23 मई को वोटों की गिनती की जाएगी तो ईवीएम में पड़े वोटों से पर्चियों का मिलान भी किया जाएगा, ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम के साथ वीवीपैट लगाने का फैसला किया था |

बता दें कि पहले हर सीट पर एक ईवीएम के साथ एक वीवीपैट लगाई जाती थी, जिसे विपक्ष की मांग के बाद बढ़ाकर हर विधानसभा में 5 दिया गया. हालांकि, विपक्षी दल अब भी वीवीपैट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में भी गुहार लगाई है कि ईवीएम के साथ पचास फीसदी वीवीपैट लगाई जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को ही विपक्ष की इस मांग को ठुकराया है, जिसके बाद विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग का रुख किया है |

38 दिन चले लोकतंत्र के पर्व में 22 लाख 30 हजार बैलेट यूनिट, 10 लाख 63 हजार कंट्रोल यूनिट और 10 लाख 73 हजार वीवीपैट का इस्तेमाल हुआ. इसमें कुछ रिजर्व में भी रहे. कई जगह उम्मीदवारों की तादाद ज्यादा होने से दोहरे बैलेट यूनिट का इस्तेमाल किया गया |

सबसे पहले चार टेबल पर पोस्टल बैलेट की गिनती
वोटों की गिनती भले 23 मई को सवेरे आठ बजे से होगी, लेकिन कामकाज तो आज रात से शुरू हो जाएगा, चुनाव आयोग के प्रोटोकॉल के मुताबिक मतगणना की भी एक तय प्रक्रिया है, आयोग की ओर से हरेक मतगणना केंद्र पर इसे फॉलो किया जाएगा, मतगणना की शुरुआत सवेरे आठ बजे से होगी, सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है, इसके लिए चार टेबल तय होते हैं, सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं. कायदे से हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं, इसमें गलत भरे हुए या गलत निशान लगाये हुए बैलेट पेपर अवैध हो जाते हैं |

पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती के बाद ईवीएम की गिनती
आयोग के उपायुक्त चंद्रभूषण का कहना है कि कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां 30 हजार से 45 हजार तक पोस्टल बैलेट होते हैं, ऐसे में उनकी गिनती में ही करीब आठ दस घंटे लग जाते हैं, इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है, इन पर क्यू आर कोड होता है, उसके जरिए गिनती होती है, आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है. इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं. टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी की जाती है |

30 से 45 मिनट में होती है एक राउंड की गणना
हरेक टेबल पर एक-एक ईवीएम भेजी जाती है, इस तरह हरेक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ चौदह ईवीएम की गिनती एक साथ होती है, अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है, मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट रहते हैं, जो मतगणना पर पैनी निगाह रखते हैं, उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं. फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है. फिर मशीनों की सीलिंग के समय अगला हिस्सा भरते हैं. फिर मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है. ताकि हरेक चरण में ईवीएम और अन्य मशीनों के सही सलामत होने का सबूत रहे |

ईवीएम और वीवीपेट की पर्चियों के मिलान में लगता है एक घंटा
बैलेट यूनिट पर जितने उम्मीदवारों के नाम दर्ज होते हैं, उनके लिए एक- एक एजेंट का नाम पता और अन्य जरूरी जानकारियां दर्ज कर अंदर प्रवेश करने दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आयोग औचक आधार पर पांच मशीनों को पहले ही अलग कर लेता है, जिनकी ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों की गिनती का मिलान सबसे आखिर में होता है. आयोग के उपायुक्त सुदीप जैन के मुताबिक एक ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान में एक घंटा लगता है. तो पांच ईवीएम और वीवीपैट की गिनती के मिलान में औसतन पांच घंटे तो लग ही जाएंगे.

रात 11 बजे तक आ सकते हैं नतीजे
हर विधान सभा क्षेत्र की मतगणना पूरी होने में कम से कम पांच घंटे की देरी होगी. विधान सभा का क्षेत्र या जनसंख्या के आधार पर छोटे बड़े क्षेत्र, कम या ज्यादा मतदाताओं वाला बूथ होते हैं. लिहाजा अमूमन मतगणना के दस से 12 दौर होते हैं. तो आधा से पौना घंटा प्रति दौर का औसत लगाया जाए तो छह से आठ घंटे लगते हैं. यानी सवेरे आठ बजे से अगर पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू हो तो औसतन दो घंटे उसमें लगते हैं. दस बजे से ईवीएम की गिनती शुरू हो तो भी शाम छह तो बज ही जाते हैं. अब ये नये पांच घंटे और जोड़ दिए जाएं तो रात 11 बारह बजे तक ही अंतिम नतीजा आएगा. यानी जीतने वाले उम्मीदवार को आधी रात तक ही जीत का प्रमाणपत्र मिलेगा |

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